Metaverse | पिछले कुछ दिनों में मेटावर्स काफी चर्चा में है। पिछले साल अक्टूबर में फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कंपनी का नाम मेटा रख दि...
Metaverse | पिछले कुछ दिनों में मेटावर्स काफी चर्चा में है। पिछले साल अक्टूबर में फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने कंपनी का नाम मेटा रख दिया। कहा, हम चाहते हैं कि दुनिया हमें मेटावर्स के नाम से जाने। हालांकि यह कोई नया शब्द नहीं है। 1992 में नील स्टीफेंसन ने अपने डायस्टोपियन उपन्यास स्नो क्रैश में इसका जिक्र किया था। स्टीफेंसन के किताब में मेटावर्स का मतलब एक ऐसी दुनिया से था। जिसमें लोग वीडियो गेम में डिजिटल गैजेट की सहायता से एक-दूसरे से कनेक्ट होते हैं। आइए जानते हैं आखिर मेटावर्स क्या है।
WHAT IS METAVERSE : DETAILING INFO ABOUT METAVERSE
METAVERSE : VIRTUAL INVOLVEMENT - MARK ZUCKERBERG
अब एक नई दुनिया के रूप में मेटावर्स का जन्म हुआ है। माना जाता है कि बिग बैंग की प्रक्रिया में पदार्थों से निर्मित एक गोलाकार सूक्ष्म पिंड के अंदर विस्फोट हुआ था। जिससे ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई थी। संसार में हर एक चीज को छू सकते हैं। उसे महसूस किया जा सकता है। यहां लोग शारीरिक रूप से उपस्थित है। हालांकि मेटावर्स इससे अलग है। इसमें किसी गांव में बैठा स्टूडेंट भोपाल के किसी स्कूल या कॉलेज में उसी तरह क्लास से सकता है। जिस तरह से क्लासरूम में बैठकर लेता है। मेटावर्स में उन लोगों से भी बात करना मुमकिन है, जो अब दुनिया नहीं है। इसमें पहले उस शख्स की फोटो से उसका हेलोग्राम तैयार होगा। फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बात कर सकेंगे।
मेटावर्स एक आभासी दुनिया है, जो पूरी तरह से हाई स्पीड इंटरनेट पर निर्भर है। मार्क जुकरबर्ग ने मेटावर्स को वर्चुअल इंवॉल्वमेंट कहा है। वास्तविक दुनिया में आपको किसी जगह पर घूमने के लिए उस जगह पर जाना पड़ता है। लेकिन मेटावर्स में आप घर बैठे ही दुनिया के किसी भी कोने में जा सकते हैं। आप घर बैठे अंतरिक्ष का अनुभव कर सकते हैं। मेटावर्स में हर एक चीज आभासी होती है। इसमें कुछ भी वास्तविक नहीं है।
इसमें यूजर्स वर्चुअल रियलिटी हेडसेट और हाई-स्पीड इंटरनेट के बिना नहीं कर पाएंगे। इसमें आग्युमेंट रियलिटी चश्में, स्मार्टफोन और एप की जरूरत होती है। आप मोबाइल से मेटावर्स के रिकॉर्डेड वीडियो देख सकते हैं, लेकिन अनुभव नहीं कर सकते। मेटावर्स में किसी भी अवतार बनाने के लिए 360 डिग्री स्कैनिंग होती है। मेटावर्स में क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल होता है। यह पूरी तरह से हाई-स्पीड इंटरनेट, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ऑगमेंटेड रियलिटी, वर्चुअल रियलिटी, मशीन लर्निंग और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर बेस्ड है।
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